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श्लोक 2.6.224  |
চৈতন্য-প্রসাদে মনের সব জাড্য গেল
এই শ্লোক পডি’ অন্ন ভক্ষণ করিল |
चैतन्य - प्रसादे मनेर सब जाड्य गेल ।
एइ श्लोक प ड़ि’ अन्न भक्षण करिल ॥224॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु की दया से सार्वभौम भट्टाचार्य के मन की सारी जड़ता दूर हो गई थी। उन्होंने निम्नलिखित दो श्लोकों को पढ़ने के बाद उन्हें अर्पित किया गया प्रसाद ग्रहण किया। |
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