श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 6: सार्वभौम भट्टाचार्य की मुक्ति  »  श्लोक 221
 
 
श्लोक  2.6.221 
বাহিরে প্রভুর তেঙ্হো পাইল দরশন
আস্তে-ব্যস্তে আসি’ কৈল চরণ বন্দন
बाहिरे प्रभुर तेंहो पाइल दरशन ।
आस्ते - व्यस्ते आ सि’ कैल चरण वन्दन ॥221॥
 
अनुवाद
भट्टाचार्य ने श्री चैतन्य महाप्रभु को बाहर खड़े देखा तो जल्दी-जल्दी उनके पास गए और उनके चरणकमलों की वंदना की।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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