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श्लोक 2.6.221  |
বাহিরে প্রভুর তেঙ্হো পাইল দরশন
আস্তে-ব্যস্তে আসি’ কৈল চরণ বন্দন |
बाहिरे प्रभुर तेंहो पाइल दरशन ।
आस्ते - व्यस्ते आ सि’ कैल चरण वन्दन ॥221॥ |
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अनुवाद |
भट्टाचार्य ने श्री चैतन्य महाप्रभु को बाहर खड़े देखा तो जल्दी-जल्दी उनके पास गए और उनके चरणकमलों की वंदना की। |
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