প্রতিযুগে করেন কৃষ্ণ যুগ-অবতার
তর্ক-নিষ্ঠ হৃদয তোমার নাহিক বিচার
प्रतियुगे करेन कृष्ण युग - अवतार ।
तकर् - निष्ठ हृदय तोमार नाहिक विचार ॥100॥
अनुवाद
गोपीनाथ आचार्य ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "हर युग में अवश्य ही एक अवतार होता है, और ऐसे अवतार को युग-अवतार कहा जाता है। परन्तु तर्क और विवाद के कारण तुम्हारा हृदय इतना कठोर हो गया है कि तुम इन सभी तथ्यों पर विचार ही नहीं कर सकते।"