श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 5: साक्षीगोपाल की लीलाएँ » श्लोक 81 |
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| | श्लोक 2.5.81  | ছোট-বিপ্র বলে, — ‘পত্র করহ লিখন
পুনঃ যেন নাহি চলে এ-সব বচন’ | छोट - विप्र बले , - ‘पत्र करह लिखन ।
पुनः येन नाहि चले ए - सब वच न’ ॥81॥ | | अनुवाद | तरुण विप्र ने वक्त का फायदा उठाकर कहा, "कृपया इन बातों को एक कागज पर साफ-साफ लिख दें, ताकि बाद में आप अपने वादे से मुकर न सकें।" | | |
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