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अध्याय 4: श्री माधवेन्द्र पुरी की भक्ति
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श्लोक 35
श्लोक
2.4.35
স্বপ্নে দেখে, সেই বালক সম্মুখে আসিঞা
এক কুঞ্জে লঞা গেল হাতেতে ধরিঞা
स्वप्ने देखे, सेइ बालक सम्मुखे आसिञा ।
एक कुञ्जे लञा गेल हातेते धरिञा ॥35॥
अनुवाद
सपने में माधवेन्द्र पुरी ने उसी लड़के को देखा। वह लड़का उनके सामने आया और उनका हाथ पकड़कर जंगल में एक कुंज तक ले गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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