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श्लोक 2.4.156  |
পুরী দেখি’ সেবক সব সম্মান করিল
ক্ষীর-প্রসাদ দিযা তাঙ্রে ভিক্ষা করাইল |
पुरी देखि’ सेवक सब सम्मान करिल ।
क्षीर - प्रसाद दिया ताँरे भिक्षा कराइल ॥156॥ |
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अनुवाद |
जब गोपीनाथ जी के मंदिर के पुजारी ने माधवेन्द्र पुरी जी को पुनः देखा, तो उन्होंने उनका सादर सम्मान किया और उन्हें खीर का प्रसाद ग्रहण कराया। |
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