श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 4: श्री माधवेन्द्र पुरी की भक्ति » श्लोक 145 |
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| | श्लोक 2.4.145  | ‘মাধব-পুরী শ্রীপাদ আইল’, — লোকে হৈল খ্যাতি
সব লোক আসি’ তাঙ্রে করে বহু ভক্তি | ‘माधव - पुरी श्रीपाद आइल’, - लोके हैल ख्याति ।
सब लोक आ सि’ ताँरे करे बहु भक्ति ॥145॥ | | अनुवाद | जब माधवेन्द्र पुरी जगन्नाथ पुरी आये, तो उनकी दिव्य ख्याति से लोग अच्छी तरह परिचित थे। इसलिए भक्तों की भीड़ उनके पास आकर तरह - तरह से उनका सम्मान करने लगी। | | |
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