श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 4: श्री माधवेन्द्र पुरी की भक्ति  »  श्लोक 143
 
 
श्लोक  2.4.143 
চলি’ চলি’ আইলা পুরী শ্রী-নীলাচল
জগন্নাথ দেখি’ হৈলা প্রেমেতে বিহ্বল
चलि’ चलि’ आइला पुरी श्री - नीलाचल ।
जगन्नाथ देखि’ हैला प्रेमेते विह्वल ॥143॥
 
अनुवाद
चलते-चलते माधवेन्द्र पुरी अन्ततः जगन्नाथपुरी पहुंचे, जो नीलाचल नाम से भी प्रसिद्ध है। वहाँ उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए और प्रेम-सुख के मारे विह्वल हो गए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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