श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 4: श्री माधवेन्द्र पुरी की भक्ति  »  श्लोक 135
 
 
श्लोक  2.4.135 
এত শুনি’ পুরী-গোসাঞি পরিচয দিল
ক্ষীর দিযা পূজারী তাঙ্রে দণ্ডবত্ হৈল
एत शुनि’ पुरी - गोसाञि परिचय दिल ।
क्षीर दिया पूजारी ताँरे दण्डवत् हैल ॥135॥
 
अनुवाद
यह निमंत्रण सुनकर माधवेन्द्र पुरी बाहर आए और अपना परिचय दिया। तब पुजारी ने उन्हें खीर वाला बर्तन दिया और दंडवत् प्रणाम किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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