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श्लोक 2.4.135  |
এত শুনি’ পুরী-গোসাঞি পরিচয দিল
ক্ষীর দিযা পূজারী তাঙ্রে দণ্ডবত্ হৈল |
एत शुनि’ पुरी - गोसाञि परिचय दिल ।
क्षीर दिया पूजारी ताँरे दण्डवत् हैल ॥135॥ |
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अनुवाद |
यह निमंत्रण सुनकर माधवेन्द्र पुरी बाहर आए और अपना परिचय दिया। तब पुजारी ने उन्हें खीर वाला बर्तन दिया और दंडवत् प्रणाम किया। |
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