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श्लोक 2.3.78  |
এত বলি’ জল দিল দুই গোসাঞির হাতে
হাসিযা লাগিলা দুঙ্হে ভোজন করিতে |
एत ब लि’ जल दिल दुइ गोसाञि र हाते ।
हासिया लागला दुँहे भोजन करते ॥78॥ |
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अनुवाद |
यह कहकर अद्वैत आचार्य जी ने दोनों प्रभुओं को हाथ धोने के लिए जल प्रदान किया। तत्पश्चात् दोनों प्रभु आसन पर बैठ गए और हंसते हुए प्रसाद ग्रहण करने लगे। |
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