श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 3: श्री चैतन्य महाप्रभु का अद्वैत आचार्य के घर रुकना  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  2.3.45 
সার্দ্রক, বাস্তুক-শাক বিবিধ প্রকার
পটোল, কুষ্মাণ্ড-বডি, মানকচু আর
सार्द्रक, वास्तुक - शाक विविध प्रकार ।
पटोल, कुष्माण्ड - बड़ि, मानकचु आर ॥45॥
 
अनुवाद
पकाई गई सब्जियों में पटोल, सीताफल, मानकचू थी साथ ही अदरक के टुकड़ों और तरह-तरह की पालक से बना सलाद था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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