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श्लोक 2.3.44  |
মধ্যে পীত-ঘৃত-সিক্ত শাল্য্-অন্নের স্তূপ
চারি-দিকে ব্যঞ্জন-ডোঙ্গা, আর মুদ্গ-সূপ |
मध्ये पीत - घृत - सिक्त शाल्यन्नेर स्तूप ।
चारि - दिके व्यञ्जन - डोङ्गा, आर मुद्ग - सूप ॥44॥ |
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अनुवाद |
पके हुए चावल का ढेर बहुत ही सुंदर और बारीक दानों वाला था और बीच में गाय के दूध से बना हुआ पीले रंग का घी रखा हुआ था। चावल के ढेर के चारों ओर केले के पेड़ की छाल से बने पात्र थे जिनमें अलग-अलग तरह की सब्जियां और मूंग की दाल भरी हुई थी। |
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