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श्लोक 2.3.29  |
এত বলি’ নমস্করি’ কৈল গঙ্গা-স্নান
এক কৌপীন, নাহি দ্বিতীয পরিধান |
एत ब लि’ नमस्क रि’ कैल गङ्गा - स्नान ।
एक कौपीन, नाहि द्वितीय परिधान ॥29॥ |
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अनुवाद |
इस मंत्र का उच्चारण करने के बाद श्री चैतन्य महाप्रभु ने हाथ जोड़कर गंगा नदी में स्नान किया। उस समय शरीर पर एक ही वस्त्र था क्योंकि कोई दूसरा वस्त्र नहीं था। |
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