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अध्याय 3: श्री चैतन्य महाप्रभु का अद्वैत आचार्य के घर रुकना
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श्लोक 24
श्लोक
2.3.24
প্রভু কহে, — শ্রীপাদ, তোমার কোথাকে গমন
শ্রীপাদ কহে, তোমার সঙ্গে যাব বৃন্দাবন
प्रभु कहे, - श्रीपाद, तोमार कोथाके गमन ।
श्रीपाद कहे, तोमार सङ्गे याब वृन्दावन ॥24॥
अनुवाद
"श्री चैतन्य महाप्रभु भावविभोर थे और उन्होंने पूछा की नित्यानन्द प्रभु कहाँ जा रहे हो?"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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