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श्लोक 2.3.103  |
লবঙ্গ এলাচী-বীজ — উত্তম রস-বাস
তুলসী-মঞ্জরী সহ দিল মুখ-বাস |
लवङ्ग एलाची - बीज - उत्तम रस - वास ।
तुलसी - मञ्जरी सह दिल मुख - वास ॥103॥ |
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अनुवाद |
श्री अद्वैत आचार्य ने दोनों प्रभुओं को लौंग तथा इलायची के साथ तुलसी की पत्तियों का सेवन करवाया। इस तरह उनके मुँह में बढ़िया स्वाद आया। |
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