श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 24: आत्माराम श्लोक की 61 व्याख्याएँ  »  श्लोक 246
 
 
श्लोक  2.24.246 
নারদ কহে, — “ইহা আমি কিছু নাহি চাহি
আর এক-দান আমি মাগি তোমা-ঠাঞি
नारद कहे , - “इहा आमि किछु नाहि चाहि ।
आर एक - दान आमि मागि तोमा - ठाञि” ॥246॥
 
अनुवाद
"नारद मुनि बोले, मैं कोई भी खाल नहीं चाहता। मैं तुमसे केवल एक चीज दान में चाहता हूँ।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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