|
|
|
श्लोक 2.24.232  |
আর কত-দূরে এক দেখেন শূকর
তৈছে বিদ্ধ ভগ্ন-পাদ করে ধড্-ফড |
आर कत - दूरे एक देखेन शूकर ।
तैछे विद्ध भग्न - पाद करे धड् - फड़ ॥232॥ |
|
अनुवाद |
"कुछ दूरी पर नारद जी ने एक सुअर देखा जो एक तीर से घायल था। उसके पैर भी टूटे हुए थे और वह दर्द से छटपटा रहा था।" |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|