श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 24: आत्माराम श्लोक की 61 व्याख्याएँ  »  श्लोक 203
 
 
श्लोक  2.24.203 
এই জীব — সনকাদি সব মুনি-জন
‘নির্গ্রন্থ’ — মূর্খ, নীচ, স্থাবর-পশু-গণ
एइ जीव - सनकादि सब मुनि - जन ।
‘निर्ग्रन्थ’ - मूर्ख, नीच, स्थावर - पशु - गण ॥203॥
 
अनुवाद
"चार कुमारों जैसे महापुरुषों से लेकर निम्न जाति के मूर्ख लोगों, वृक्षों, पौधों, पक्षियों और पशुओं तक, जीवों में सभी शामिल हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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