श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 24: आत्माराम श्लोक की 61 व्याख्याएँ » श्लोक 107 |
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| | श्लोक 2.24.107  | জ্ঞান-মার্গে উপাসক — দুইত’ প্রকার
কেবল ব্রহ্মোপাসক, মোক্ষাকাঙ্ক্ষী আর | ज्ञान - मार्गे उपासक - दुइत’ प्रकार ।
केवल ब्रह्मोपासक, मोक्षाकाङ्क्षी आर ॥107॥ | | अनुवाद | “दर्शन - मार्ग के उपासक दो प्रकार के होते हैं - एक तो ब्रह्म उपासक, जो निर्गुण ब्रह्म के उपासक होते हैं और दूसरे मोक्षकांक्षी, जो मोक्ष की इच्छा रखते हैं।” | | |
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