श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 94 |
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| | श्लोक 2.22.94  | সর্ব-ধর্মান্ পরিত্যজ্য
মাম্ একṁ শরণṁ ব্রজ
অহṁ ত্বাṁ সর্ব-পাপেভ্যো
মোক্ষযিষ্যামি মা শুচঃ | सर्व - धर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।
अहं त्वां सर्व - पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥94॥ | | अनुवाद | “यदि तुम सब धार्मिक और व्यवसायिक कर्मकाण्डों को छोड़कर, मेरे, पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् की शरण ग्रहण करते हो, तो मैं तुमको जीवन के सभी पापों से रक्षा प्रदान करूँगा। तुम चिंता मत करो।” | | |
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