श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 92 |
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| | श्लोक 2.22.92  | মা দ্রাক্ষীঃ ক্ষীণ-পুণ্যান্ ক্বচিদ্ অপি ভগবদ্-ভক্তি-হীনান্ মনুষ্যান্ | मा द्राक्षीः क्षीण - पुण्यान् क्वचिदपि भगवद्भक्ति - हीनान् मनुष्यान् ॥92॥ | | अनुवाद | "जो लोग कृष्णभावनामृत से विहीन होने के कारण पुण्यकर्मों से रहित हैं, उनको देखना तक नहीं चाहिए।" | | |
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