श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 77 |
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| | श्लोक 2.22.77  | সেই সব গুণ হয বৈষ্ণব-লক্ষণ
সব কহা না যায, করি দিগ্-দরশন | सेइ सब गुण हय वैष्णव - लक्षण ।
सब कहा ना द्याय, करि दिग्दरशन ॥77॥ | | अनुवाद | “ये सारे दिव्य गुण शुद्ध वैष्णवों के लक्षण हैं। इनकी पूरी व्याख्या करना मुमकिन नहीं है पर मैं इनमें से कुछ महत्वपूर्ण गुणों को बताने का प्रयास करूँगा।” | | |
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