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श्लोक 2.22.75  |
সর্ব মহা-গুণ-গণ বৈষ্ণব-শরীরে
কৃষ্ণ-ভক্তে কৃষ্ণের গুণ সকলি সঞ্চারে |
सर्व महा - गुण - गण वैष्णव - शरीरे ।
कृष्ण - भक्ते कृष्णेर गुण सकलि सञ्चारे ॥75॥ |
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अनुवाद |
“वैष्णव वह है जिसने सभी उत्तम दिव्य गुणों का विकास कर लिया हो। कृष्ण-भक्त में कृष्ण के सभी सद्गुण धीरे-धीरे विकसित होते हैं।” |
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