श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 64 |
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| | श्लोक 2.22.64  | শ্রদ্ধাবান্ জন হয ভক্তি-অধিকারী
‘উত্তম’, ‘মধ্যম’, ‘কনিষ্ঠ’ — শ্রদ্ধা-অনুসারী | श्रद्धावान् जन हय भक्ति - अधिकारी ।
‘उत्तम’, ‘मध्यम’, ‘कनिष्ठ’ - श्रद्धा - अनुसारी ॥64॥ | | अनुवाद | श्रद्धावान भक्त ही सचमुच में भगवान की प्रेममयी सेवा के लायक है। भक्त की श्रद्धा के अनुसार ही उसे श्रेष्ठ भक्त, मध्यम भक्त या निम्न भक्त कहा जाता है। | | |
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