श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 59 |
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| | श्लोक 2.22.59  | পূর্ব আজ্ঞা, — বেদ-ধর্ম, কর্ম, যোগ, জ্ঞান
সব সাধি’ শেষে এই আজ্ঞা — বলবান্ | पूर्व आज्ञा, - वेद - धर्म, कर्म, योग, ज्ञान ।
सब सा धि’ शेषे एइ आज्ञा - बलवान् ॥59॥ | | अनुवाद | यद्यपि कृष्ण ने पहले ही वैदिक अनुष्ठान करने, वेदों में वर्णित सकाम कर्म करने, योगाभ्यास करने और ज्ञान अर्जित करने की विधियाँ बताई हैं, परन्तु ये अन्तिम उपदेश सबसे अधिक शक्तिशाली हैं और अन्य सभी से श्रेष्ठ हैं। | | |
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