অকামঃ সর্ব-কামো বা
মোক্ষ-কাম উদার-ধীঃ
তীব্রেণ ভক্তি-যোগেন
যজেত পুরুষṁ পরম্
अकामः सर्व - कामो वा मोक्ष - काम उदार - धीः ।
तीव्रण भक्ति - योगेन यजेत पुरुषं परम् ॥36॥
अनुवाद
“कोई भी हो चाहे वह सबकुछ चाहे या कुछ भी न चाहे, या फिर भगवान् में मिल जाना चाहे, वह तभी बुद्धिमान होता है जब वह भगवान् कृष्ण की, जो कि पूर्ण पुरुषोत्तम है, दिव्य प्रेम भक्ति के द्वारा पूजा करता है।”