“कृष्ण की बहिरंगा मोहक शक्ति, जिसे माया कहा जाता है, कृष्ण के सामने खड़े होने में हमेशा उतनी ही लज्जित होती है, जितना अंधेरा सूर्य के प्रकाश के सामने रहने में लज्जित होता है। लेकिन माया उन दुर्भाग्यपूर्ण लोगों को बहलाती है, जिनमें बुद्धि नहीं होती। बस वे केवल यही शेखी मारते हैं कि यह भौतिक संसार उनका है और वे इसके उपभोक्ता हैं।” |