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श्लोक 2.22.29  |
জ্ঞানী জীবন্-মুক্ত-দশা পাইনু করি’ মানে
বস্তুতঃ বুদ্ধি ‘শুদ্ধ’ নহে কৃষ্ণ-ভক্তি বিনে |
ज्ञानी जीवन्मुक्त - दशा पाइनु करि’ माने ।
वस्तुतः बुद्धि ‘शुद्ध’ नहे कृष्ण - भक्ति विने ॥29॥ |
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अनुवाद |
“मायावादी सम्प्रदाय के अनेक ज्ञानी हैं जो खुद को मुक्त और नारायण मानते हैं। लेकिन जब तक वे कृष्ण की भक्ति नहीं करते, तब तक उनकी बुद्धि शुद्ध नहीं होती।” |
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