"ब्रह्मा के मुँह से ब्राह्मण वर्ण की उत्पत्ति हुई। उसी तरह उनकी भुजाओं से क्षत्रिय, कमर से वैश्य और पैरों से शूद्र वर्ण की उत्पत्ति हुई। ये चारों वर्ण और उनके चार आश्रम (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास) मिलकर मानव समाज को परिपूर्ण और संपूर्ण बनाते हैं।" |