श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 22: भक्ति की विधि  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.22.24 
‘কৃষ্ণ-নিত্য-দাস’ — জীব তাহা ভুলি’ গেল
এই দোষে মাযা তার গলায বান্ধিল
‘कृष्ण - नित्य - दास’ - जीव ताहा भुलि’ गेल ।
एइ दोषे माया तार गलाय बान्धिल ॥24॥
 
अनुवाद
जीव, माया की जंजीरों से गले से बंधा है, क्योंकि वह भूल गया है कि वह हमेशा से कृष्ण का सेवक है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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