श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 21 |
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| | श्लोक 2.22.21  | কেবল জ্ঞান ‘মুক্তি’ দিতে নারে ভক্তি বিনে
কৃষ্ণোন্মুখে সেই মুক্তি হয বিনা জ্ঞানে | केवल ज्ञान ‘मुक्ति’ दिते नारे भक्ति विने ।
कृष्णोन्मुखे सेइ मुक्ति हय विना ज्ञाने ॥21॥ | | अनुवाद | “केवल अनुमानित ज्ञान, भक्ति सेवा के बिना, मुक्ति नहीं दिला सकता। वहीं दूसरी ओर, ज्ञान के बिना भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है यदि व्यक्ति ईश्वर की भक्ति सेवा में संलग्न हो।” | | |
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