श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 22: भक्ति की विधि  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  2.22.18 
এই সব সাধনের অতি তুচ্ছ বল
কৃষ্ণ-ভক্তি বিনা তাহা দিতে নারে ফল
एइ सब साधनेर अति तुच्छ बल ।
कृष्ण - भक्ति विना ताहा दिते नारे फल ॥18॥
 
अनुवाद
"भक्ति के बिना, आत्म-साक्षात्कार के अन्य सभी साधन कमजोर और तुच्छ हैं। कृष्ण की भक्ति किए बिना, ज्ञान और योग वांछित परिणाम नहीं दे सकते।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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