श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 22: भक्ति की विधि  »  श्लोक 169
 
 
श्लोक  2.22.169 
শ্রী-রূপ-রঘুনাথ-পদে যার আশ
চৈতন্য-চরিতামৃত কহে কৃষ্ণদাস
श्री - रूप - रघुनाथ - पदे यार आश ।
चैतन्य - चरितामृत कहे कृष्णदास ॥169॥
 
अनुवाद
श्री रूप और श्री रघुनाथ के चरण-कमलों में प्रार्थना करते हुए, उनकी कृपा की सदैव कामना करते हुए, मैं, कृष्णदास, उनके चरण-चिह्नों पर चलते हुए श्री चैतन्य-चरितामृत का वर्णन करता हूँ।
 
 
इस प्रकार श्री चैतन्य-चरितामृत, मध्य लीला, के अंतर्गत बाईसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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