श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 168 |
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| | श्लोक 2.22.168  | অভিধেয সাধন-ভক্তি শুনে যেই জন
অচিরাত্ পায সেই কৃষ্ণ-প্রেম-ধন | अभिधेय साधन - भक्ति शुने येइ जन ।
अचिरात्याय सेइ कृष्ण - प्रेम - धन ॥168॥ | | अनुवाद | जो कोई भी साधना-भक्ति की विधि को सुनता है, वह जल्द ही कृष्ण के चरणकमलों में प्रेम से शरण प्राप्त कर लेता है। | | |
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