"हे प्यारी माँ देवहूति! हे शांति की प्रतीक! मेरा कालचक्र रूपी शस्त्र उन लोगों का विनाश नहीं करता, जिनके लिए मैं अति प्रिय हूँ, जिनके साथ मैं परमात्मा, पुत्र, मित्र, गुरु, शुभचिंतक, आराध्य देव एवं इच्छित लक्ष्य हूँ। चूँकि भक्तगण सदैव मुझमें आस्था रखते हैं, इसलिए वे काल के दूतों द्वारा कभी विनष्ट नहीं किए जाते।" |