भक्त को चाहिए कि वह अपने मन में सदैव कृष्ण का ध्यान रखे और ऐसे प्रिय भक्त को चुने जो वृंदावन में कृष्ण का सेवक हो। उसे उस सेवक की कथाओं के विषय में तथा कृष्ण के साथ उसके प्रेममय संबंधों के विषय में सदैव चिंतन करना चाहिए और उसे वृंदावन में निवास करना चाहिए। यदि कोई शरीर से वृंदावन नहीं जा सकता, तो उसे मानसिक रूप से वहाँ रहना चाहिए। |