নিজাভীষ্ট কৃষ্ণ-প্রেষ্ঠ পাছেত’ লাগিযা
নিরন্তর সেবা করে অন্তর্মনা হঞা
निजाभीष्ट कृष्ण - प्रेष्ठ पाछे त’ लागिया ।
निरन्तर सेवा करे अन्तर्मना ह ञा ॥159॥
अनुवाद
“वास्तव में, वृन्दावनवासी कृष्ण को बहुत प्यारे हैं। यदि कोई व्यक्ति रागानुगा भक्ति करना चाहता है, तो उसे वृन्दावनवासियों का अनुसरण करना चाहिए और अपने मन-मस्तिष्क में निरंतर कृष्ण की सेवा में लीन रहना चाहिए।”