श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 22: भक्ति की विधि  »  श्लोक 151
 
 
श्लोक  2.22.151 
ইষ্টে ‘গাঢ-তৃষ্ণা’ — রাগের স্বরূপ-লক্ষণ
ইষ্টে ‘আবিষ্টতা’ — এই তটস্থ-লক্ষণ
इष्टे ‘गाढ़ - तृष्णा’ - रागेर स्वरूप - लक्षण ।
इष्टे आविष्ट ता’ - एइ तटस्थ - लक्षण ॥151॥
 
अनुवाद
"रागात्मिका प्रेम की मुख्य विशेषता परम पुरुषोत्तम भगवान के प्रति गहरी लगन है। भगवान में तल्लीनता एक मामूली विशेषता है।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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