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श्लोक 135
श्लोक
2.22.135
‘এক’ অঙ্গে সিদ্ধি পাইল বহু ভক্ত-গণ
অম্বরীষাদি ভক্তের ‘বহু’ অঙ্গ-সাধন
‘एक’ अङ्गे सिद्धि पाइल बहु भक्तगण ।
अम्बरीषादि भक्तेर ‘बहु’ अङ्ग - साधन ॥135॥
अनुवाद
ऐसे अनेक भक्त हैं, जो भक्ति की नौ विधियों में से सिर्फ एक का ही पालन करते हैं, लेकिन उन्हें भी परम सफलता मिलती है। महाराज अम्बरीष जैसे भक्तगण नौों विधियों का पालन करते हैं और उन्हें भी परम सफलता मिलती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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