श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 129 |
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| | श्लोक 2.22.129  | সকল-সাধন-শ্রেষ্ঠ এই পঞ্চ অঙ্গ
কৃষ্ণ-প্রেম জন্মায এই পাঙ্চের অল্প সঙ্গ | सकल - साधन - श्रेष्ठ एइ पञ्च अङ्ग ।
कृष्ण - प्रेम जन्माय एइ पाँचेर अल्प सङ्ग ॥129॥ | | अनुवाद | “भक्ति के ये पाँच अंग सभी अंगों में सर्वश्रेष्ठ हैं। यदि इन पाँचों को जरा भी किया जाए, तो कृष्ण-प्रेम जागृत हो जाता है।” | | |
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