श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 22: भक्ति की विधि » श्लोक 120 |
|
| | श्लोक 2.22.120  | বিষ্ণু-বৈষ্ণব-নিন্দা, গ্রাম্য-বার্তা না শুনিব
প্রাণি-মাত্রে মনো-বাক্যে উদ্বেগ না দিব | विष्णु - वैष्णव - निन्दा, ग्राम्य - वार्ता ना शुनिब ।
प्राणि - मात्रे मनो - वाक्ये उद्वेग ना दिब ॥120॥ | | अनुवाद | (18) भक्त को भगवान विष्णु या उनके भक्तों की निंदा नहीं सुननी चाहिए। (19) भक्त को अखबार या स्त्री-पुरुषों की प्रेमकथा वाली पुस्तकें या इंद्रियों को अच्छे लगने वाले विषय पढ़ने या सुनने से बचना चाहिए। (20) भक्त को चाहिए कि मन या वचन से किसी जीव को दुख न पहुंचाए, भले ही वह कितना भी तुच्छ क्यों न हो। | | |
| ✨ ai-generated | |
|
|