“जब भावपूर्ण भक्ति, जिसमें कृष्ण के प्रति प्रेम प्राप्त किया जाता है, को इंद्रियों द्वारा निष्पादित किया जाता है, तो इसे साधन भक्ति या भक्ति पूर्ण सेवा का विनियमित निर्वहन कहा जाता है। ऐसा लगाव हर जीव के हृदय में सदैव मौजूद रहता है। इस सनातन लगाव का जागना ही व्यवहार में भक्ति सेवा की क्षमता है।” |