श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 21: भगवान् श्रीकृष्ण का ऐश्वर्य तथा माधुर्य  »  श्लोक 96
 
 
श्लोक  2.21.96 
নিজ-চিচ্-ছক্তে কৃষ্ণ নিত্য বিরাজমান
চিচ্-ছক্তি-সম্পত্তির ‘ষড্-ঐশ্বর্য’ নাম
निज - चिच्छक्के कृष्ण नित्य विराजमान ।
चिच्छक्ति - सम्पत्तिर ‘षड् - ऐश्वर्य’ नाम ॥96॥
 
अनुवाद
इस प्रकार कृष्ण सदा अपनी आध्यात्मिक सामर्थ्य में स्थित हैं और उस आध्यात्मिक सामर्थ्य का वैभव षडैश्वर्य कहलाता है जो छह प्रकार के ऐश्वर्यों को दर्शाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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