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श्लोक 2.21.87  |
‘এক-পাদ বিভূতি’ ইহার নাহি পরিমাণ
‘ত্রি-পাদ বিভূতি’র কেবা করে পরিমাণ” |
‘एक - पाद विभूति’ इहार नाहि परिमाण ।
‘त्रि - पाद विभूति’र केबा करे परिमाण” ॥87॥ |
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अनुवाद |
"जब कोई मेरी एक चौथाई शक्ति को नहीं नाप सकता जो की भौतिक संसार में प्रकट होती है, तब वो कैसे मेरी बाकी तीन चौथाई शक्ति को नाप सकता है जो की आध्यात्मिक संसार में होती है?" |
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