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श्लोक 2.21.77  |
সম্প্রতি পৃথিবীতে যেবা হৈযাছিল ভার
অবতীর্ণ হঞা তাহা করিলা সṁহার’ |
सम्प्रति पृथिवीते येबा हैयाछिल भार ।
अवतीर्ण ह ञा ताहा करिला संहार’ ॥77॥ |
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अनुवाद |
“पृथ्वी पर जो कुछ भी बोझ था, उसे आप अपनी उस ग्रह पर उपस्थिति देकर दूर ले गए हैं।” |
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