श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 21: भगवान् श्रीकृष्ण का ऐश्वर्य तथा माधुर्य  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  2.21.54 
এই তিন ধামের হয কৃষ্ণ অধীশ্বর
গোলোক-পরব্যোম — প্রকৃতির পর
एइ तिन धामेर हय कृष्ण अधीश्वर ।
गोलोक - परव्योम - प्रकृतिर पर ॥54॥
 
अनुवाद
"कृष्ण सारे धामों के परम स्वामी हैं, जिनमें गोलोक-धाम, वैकुण्ठ-धाम और देवी-धाम सम्मिलित हैं। परव्योम और गोलोक-धाम इस भौतिक जगत देवी-धाम से परे हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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