श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 21: भगवान् श्रीकृष्ण का ऐश्वर्य तथा माधुर्य  »  श्लोक 102
 
 
श्लोक  2.21.102 
কৃষ্ণের মধুর রূপ, শুন, সনাতন
যে রূপের এক কণ, ডুবায সব ত্রিভুবন,
সর্ব প্রাণী করে আকর্ষণ
कृष्णेर मधुर रूप, शुन, सनातन
ये रूपेर एक कण, डुबाय सब त्रिभुवन, ।
सर्व प्राणी करे आकर्षण ॥102॥
 
अनुवाद
"हे मेरे प्रिय सनातन, कृष्ण का मनमोहक और आकर्षक परम दिव्य रूप अत्यंत सुंदर है। बस उसे समझने का प्रयास करो। कृष्ण के सौंदर्य की थोड़ी सी भी समझ तीनों लोकों को प्रेम के सागर में विलीन कर सकती है। वे तीनों लोकों के सभी जीवों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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