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श्लोक 2.20.46  |
চন্দ্রশেখরের ঘরে আসি’ দ্বারেতে বসিলা
মহাপ্রভু জানি’ চন্দ্রশেখরে কহিলা |
चन्द्रशेखरेर घरे आसि’ द्वारेते वसिला ।
महाप्रभु जानि’ चन्द्रशेखरे कहिला ॥46॥ |
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अनुवाद |
तब सनातन गोस्वामी चन्द्रशेखर के घर गये और उनके दरवाजे के पास बैठ गये। श्री चैतन्य महाप्रभु समझ गये कि क्या हो रहा है, इसलिए उन्होंने चन्द्रशेखर से कहा। |
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