श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 20: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा सनातन गोस्वामी को परम सत्य के विज्ञान की शिक्षा  »  श्लोक 360
 
 
श्लोक  2.20.360 
এই শ্লোকে ‘পরṁ’-শব্দে ‘কৃষ্ণ’-নিরূপণ
‘সত্যṁ’ শব্দে কহে তাঙ্র স্বরূপ-লক্ষণ
एइ श्लोके ‘परं’ - शब्दे ‘कृष्ण’ - निरूपण ।
‘सत्यं’ शब्दे कहे ताँर स्वरूप - लक्षण ॥360॥
 
अनुवाद
श्रीमद्भागवत के इस मंगलाचरण में "परम" शब्द सर्वशक्तिमान भगवान कृष्ण का बोधक है और "सत्यम्" शब्द उनके स्वभाव और गुणों को दर्शाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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