श्री हरि अर्थात् पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान भौतिक प्रकृति की पहुँच के बाहर हैं, अतएव वे दिव्य परम पुरुष हैं। वे सारी वस्तुओं के बाहर और भीतर देख सकते हैं, इसलिए वे सभी जीवों के परम दृष्टा हैं। जो व्यक्ति उनके चरणकमलों की शरण में जाता है और उनकी पूजा करता है, उसे भी दिव्य पद प्राप्त होता है। |